किस्से

ओ यारा, कोई तुमसे इतनी मोहब्बत कर ले,
के तुम्हे तुम्हारे ही क़िस्सों में से निचोड़ ले,
और रख ले अपनी पलकों तले !

के तुम्हारे किस्से नदिया की धार बिना अंत के !!

नाम का सीप

कुछ सीप तुम भी चुन लेना,
अपने मोती रखने को !
जब चलो मेरे साथ,
जिंदगी की रेत पर मोहब्बत के किनारे,
थोड़ी दूर !

फिर जब हम मिलेंगे दोबारा,
मैं बांटुगा तुम से कुछ मोती !
जो मुझे उसी रेत में मिले,
जो तुम छोड़ आई थी !

मैं माँगुगा तुम से अपने नाम का सीप,
और उसमें बंद तुम्हारा एक आंसू !

सांझ ले के

खामोशियाँ ले के चलते हैं, सन्नाटे नहीं,
चल सांझ ले के चलते हैं, अंधेरे नहीं !

मां की बनाई कल की सुखी रोटी पे नमक लगा के,
सवेरों के आगे आगे चलते हैं !
चल धूप पकड़ते हैं, परछाईंआं नहीं !

हथेलिओं से तकदीरें छीन कर,
दरियाओं जैसे टेढ़े मेढ़े सही, पर राह बनाते हैं !
चल लहरों की तरह टूटते हैं, पर बिखरते नहीं !

धुन्ध को चाँदनी के सहारे लाँघ लेंगे,
मजबूरिओं से दुआओं के साथ लड़ते हैं !
चल दिए हवाओं से जलाते हैं, माचिसों से नहीं !

चल सांझ ले के चलते हैं, अंधेरे नहीं !