नाम का सीप

कुछ सीप तुम भी चुन लेना,
अपने मोती रखने को !
जब चलो मेरे साथ,
जिंदगी की रेत पर मोहब्बत के किनारे,
थोड़ी दूर !

फिर जब हम मिलेंगे दोबारा,
मैं बांटुगा तुम से कुछ मोती !
जो मुझे उसी रेत में मिले,
जो तुम छोड़ आई थी !

मैं माँगुगा तुम से अपने नाम का सीप,
और उसमें बंद तुम्हारा एक आंसू !

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