Difference

The difference between 'loving' and 'falling in love' is what sums up life

बरगद का पेड़

सहारे देता रहा हूँ, जो मेरी ही जड़ों को कुरेदा करते हैं,
कुछ बरगद के पेड़ सी आज़माईश है मेरी !
मुझे इंतज़ार है किसी आँधी का जो आके जब चली जाएगी,
दिखेगा के इन शहतीरों के झुर्मुट में मैं कितना अकेला था !!

नये रिश्ते

नासमझ अब भी समझती है
के उसे समझ है उसकी कीमत की,

जो पायल ज़बरदस्ती पहना दी थी जाते हुए |
और फिर कुछ सोच उतार दी थी वो पायल,
और पहन ली थी काँच की नयी चूड़ियाँ !!

और अब दोनों ही,
घंटों खिड़की के काँच को देखा करते हैं |
धूल पे उंगलीओं से बनाए निशानों में,
ढूँढने की कोशिश करते हैं वो,
जो गुम नहीं हुआ !!

जैसे हटा रहे हों धूल किसी किताब से,
जो बरसों से उपर वाले कमरे की,
पुरानी अलमारी में बंद पड़ी हो |
इस उम्मीद से के
किताब की कहानी अब भी वही होगी, जो तब थी !!

मिल जाती हैं कुछ पंखुड़ियाँ,
सूखे हुए उस गुलाब की,
जो गैर समझ कर,
यूँ ही रख छोड़ा था |
उस पन्ने के बीच जहाँ कहानी ख़तम हुई थी !!

देख कर अखर जाता है वो पन्ना,
जिसपे आगाज़ हुआ था उस रिश्ते का,
जो अच्छा होता गर अधूरा रह जाता |
कोई उम्मीद भर होती,
अंजाम तलक ले जाने की !!

ये नये रिश्ते समझ नहीं आते,
यह समझदारी से बने हैं, नासमझी से नहीं !!!
ये नये रिश्ते समझ नहीं आते...
समझ नहीं आते...

रोने वाला

बड़े हो जाते हैं, खिलोनों की खबर ना रही
थोड़ा खेलना था, खेल लिए
शुक्रिया कहा और चल दिए
रोने वाला बचा हो जहाँ, ऐसी कोई कबर ना रही

जुकाम

भूले से पावं ठंडी ज़मीन पे ना रख देना,
मुझे फिर से जुकाम हो जाएगा !
तुम्हारी सर्द साँसों का फ़र्क मुझे पता नहीं चलता !!

क्यों चाहती हो

"क्यों चाहती हो मुझे इतना?"
यह सवाल अब भी लरज़ा कर रह जाता है मेरे होंठों पे !
मैं तैअ नहीं कर पाया के यह उम्मीद भर किस से जताऊं !!

यादें

मानो दबोच लिया हो कांटों वाली तार को,
छू लेता हूँ जब किसी के होंठो के तिल को !
यादें अक्सर कांटों सी हो जाती हैं !!

मौत

माफ़ करना मैं ज़रा मौत में यकीन करने लगा हूं !
अभी अभी मेरी चाहत नीलाम हुई है, और मोहब्बत बे-आबरू,
उसे लगता है प्यार प्रैक्टिकल ज़िंदगी का हिस्सा नहीं !

ਜੋਗ

ਲਈ ਵਿਰਕਤੀ ਯਾਰ ਜੋਗ ਮਚਾਏਆ
ਜੋਗੀ ਜੋਗ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਰੰਗ ਵਿਖਾਏਆ
ਜੋਗੀ ਬਣ ਮੈਂ ਰੱਬ ਗਵਾਏਆ
ਪਰ ਧੂਏਂ ਨੇ ਸਚ ਵਿਖਾਏਆ

ਆਪਣਾ ਆਪ ਨੂ ਜੇ ਕਰ ਪਾਏਆ
ਰੱਬ ਤੇ ਯਾਰ ਸਭ ਅੰਦਰ ਵਿਖਾਏਆ

नाम का बोझ

हैरान हो जाता हूँ मोहब्बत में जुनून देख के !
कोई गुज़ार देता है ज़िंदगी एक नाम की टेक ले कर,
यूँ कई सख्श उठाए फिरते हैं उसी नाम का बोझ !!

खेद

मैं अक्सर जाता हूँ वहाँ, जहाँ उसने हाथ छुड़ाया था !
नहीं, उसके निशान ढूँडने नहीं,
शायद ढूँडने उसे जिस शिद्दत से मैने हाथ बढ़ाया था !
नहीं, उसकी उम्मीद से नहीं,
शायद इस उम्मीद से कि बचा हो वो जो एहसास जताया था !
नहीं, कोई राह देखने नहीं,
शायद देखने कि क्या अलग था जो सिर्फ़ इस हाथ की लकीरों ने सताया था !

आज भी परखता हूँ कितनी थी शिद्दत और कितना था एहसास
कि क्यों उस हाथ को ज़रूरत नहीं रही इस हाथ की !
और उन लकीरों को कोई खेद नहीं...

खत

लिखने लगे थे कुछ नगमे आज
पर फिर से तेरे खतों को पड़ने बैठ गये !
पड़ कर भी जब ना मिला सुकून
तो खतों पर तेरे निशान ढूँढने बैठ गये !!

कमी

यूँ तो हर रात मैं तकिया ढून्डता हूँ
पर जैसे तेरी गोद की कमी खलक रही हो !

अक्सर होता है के आईना देखता हूँ
और तेरी परछाई झलक रही हो !!

जो रह गया बाकी

उसने सुना तो था पर कुछ ओर भूली नहीं
मैने कहा तो था पर समझाया नहीं
और कहने-सुनने वाली गुफतगू अब भी मुंतज़ीर-ए-बयाँ है !

वो आई तो थी पर कहीं से लौटी नहीं
मैं गया तो था पर पहुँचा नहीं
और आने-जाने वाली दूरी अब भी दरमियाँ है !!

शाल

तब बस एक हाथ ठंडा था
तुमने अपने हाथों से शाल में छुपा लिया था !
आज सारा जिस्म ठंडा है
और कॅफन की कमी खलक रही है !!

दे जाना, अगर आज भी उस शाल का कुछ बाकी बचा हो...

रुखसती

रोका तो कब ही था
एक बार पीछे मूड़ के देखा तो होता !
बे-उमीद रुखसती दे दी
वापिसी का एलान किया तो होता !!

उधेड़ बुन

हँसी हँसी में डोर दे दी थी तेरे हाथों में
और, कुछ बुन दिया था तेरी ऊँगलिओं ने !
अभी उधेड़ रही हूँ खुद को
फिर नये सिरे से बुनना भी तो है !!

दिल चाहता है

कहीं से कहीं ले जाते हैं कुछ रास्ते
वहीं से मुड़ना है !
किसी की हँसी में भूल जाते हैं किसी की हँसी
किसी और हँसी से जुड़ना है !
खो गई थी नींद किसी के ख्वाब बुनते बुनते
अपने ख्वाबों में भी उड़ना है !
लफ़्ज़ों में जो बयान नहीं होते हादसे
उनसे आगे बढ़ना है !
बिना अल्फाज़ों के जो कहानियाँ बन जाती हैं
उनको भी पढ़ना है !
बस अभी दो दिन जी लें, यह ज़द्द-ओ-ज़हद अभी बाकी है
परसों दोबारा से लड़ना है !!