हैरान हो जाता हूँ मोहब्बत में जुनून देख के !
कोई गुज़ार देता है ज़िंदगी एक नाम की टेक ले कर,
यूँ कई सख्श उठाए फिरते हैं उसी नाम का बोझ !!
कोई गुज़ार देता है ज़िंदगी एक नाम की टेक ले कर,
यूँ कई सख्श उठाए फिरते हैं उसी नाम का बोझ !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Monday, 19 November 2012 at 19:47
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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