कहीं से कहीं ले जाते हैं कुछ रास्ते
वहीं से मुड़ना है !
किसी की हँसी में भूल जाते हैं किसी की हँसी
किसी और हँसी से जुड़ना है !
खो गई थी नींद किसी के ख्वाब बुनते बुनते
अपने ख्वाबों में भी उड़ना है !
लफ़्ज़ों में जो बयान नहीं होते हादसे
उनसे आगे बढ़ना है !
बिना अल्फाज़ों के जो कहानियाँ बन जाती हैं
उनको भी पढ़ना है !
बस अभी दो दिन जी लें, यह ज़द्द-ओ-ज़हद अभी बाकी है
परसों दोबारा से लड़ना है !!
वहीं से मुड़ना है !
किसी की हँसी में भूल जाते हैं किसी की हँसी
किसी और हँसी से जुड़ना है !
खो गई थी नींद किसी के ख्वाब बुनते बुनते
अपने ख्वाबों में भी उड़ना है !
लफ़्ज़ों में जो बयान नहीं होते हादसे
उनसे आगे बढ़ना है !
बिना अल्फाज़ों के जो कहानियाँ बन जाती हैं
उनको भी पढ़ना है !
बस अभी दो दिन जी लें, यह ज़द्द-ओ-ज़हद अभी बाकी है
परसों दोबारा से लड़ना है !!
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