बरगद का पेड़

सहारे देता रहा हूँ, जो मेरी ही जड़ों को कुरेदा करते हैं,
कुछ बरगद के पेड़ सी आज़माईश है मेरी !
मुझे इंतज़ार है किसी आँधी का जो आके जब चली जाएगी,
दिखेगा के इन शहतीरों के झुर्मुट में मैं कितना अकेला था !!

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