पलकें

कुछ दिल का दर्द था जो रख दिया था
तुम्हारी पलकों पे मैने !
झपकी तो फिर उठी नहीं वो पलकें
जो उस बोझ तले दब गयीं थीं !!

परिंदे

परिंदो की शिकायत है के,
गीत नहीं सुनता मैं उनके आज कल !
कैसे समझाऊं के,
खामोशियाँ गैर लगती हैं मुझे अब,
और तन्हाई का सॅब्बब नहीं बनता !

खुद में ही किसी को पा गया हूँ !!

ਤੇਰੀਆਂ ਪੁਗਾਈਆ

ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਲਾ ਲਈਆਂ ਯਾਰੀਆਂ ਨੀ,
ਕੁਝ ਮਿਠੀਆ ਤੇ ਬਹੁਤੀਆਂ ਫੋਕੀਆਂ !
ਭਾਵੇਂ ਸਾਨੂ ਜਾਂਚ ਨਹੀ ਸੀ ਨਿਭੌਣ ਦੀ,
ਤੇਰੀਆਂ ਸੁੱਕੀਆਂ ਵੀ ਅਸਾਂ ਹੰਜੂਆ ਚ ਸੀ ਸੋਕੀਆਂ !!

ਗੁੱਸੇ-ਗਿਲੇ ਤਾਂ ਹੰਡਾਅ ਲੇ ਸੀ ਕਿਸੇ ਤਰੀਕੇ,
ਤੇਰੀਆਂ ਪੁਗਾਈਆ ਝੱਲੀਆਂ ਨੇ ਬੜੇ ਔਖੇਆਂ !
ਸੱਚ ਕਿਹਾ ਬਾਈ, ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ ਪੈਂਡਾ ਮੁੱਕ ਜਾਂਦਾ,
ਇਸ਼ਕੇ ਦੀ ਵਾਟ ਨੀ ਨਿਭਦੀ ਸੋਖੇਆਂ !!

कैनवस

कैनवस पे पैंटिंग करते बहुत देखे थे
पर एक रंगरेज़ देखा जो रंग निचोड़
कैनवसें बनाता रहता था !
आख़िरी पड़ाव के लिए जैसे
चादरें इकठ्ठी कर रहा हो !
हर लिबास पे सफेद रंग यूँ पोत गया वो
के हर आईने में एक सी हो गई हूं !
मुर्दे ही मोल आंक सकेंगे मेरा
के अधूरा होना कोई ज़िंदा ज़िस्म कैसे जान सकता है?

फुलकारी

मां ने सर्दी की रातों में जाग जाग
एक फुलकारी बुनी थी !
जिसके एक कोने में
चुपके से मैने तुम्हारा नाम लिख दिया था !
पर अब सोचती हूं
के उसपे किसी ओर का नाम मढ़ दूं !
मोल देना है उन सपनों का
जो मां ने नही देखे, इस फुलकारी के लिए !
तुम्हारे नाम की तो मैने एक कोरी चादर संभाल रखी है !