कैनवस पे पैंटिंग करते बहुत देखे थे पर एक रंगरेज़ देखा जो रंग निचोड़ कैनवसें बनाता रहता था ! आख़िरी पड़ाव के लिए जैसे चादरें इकठ्ठी कर रहा हो ! हर लिबास पे सफेद रंग यूँ पोत गया वो के हर आईने में एक सी हो गई हूं ! मुर्दे ही मोल आंक सकेंगे मेरा के अधूरा होना कोई ज़िंदा ज़िस्म कैसे जान सकता है?
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