रोज़ रात ऐसे ही छत पे जा के
खलाव को देखता रहता हूँ
मान लेता हूँ के तुम भी यही करती होगी
इस उमीद से के तुम्हारा साथ निभाने का यही तरीका है !
मैं अकेला हो जाता हूँ जब पड़ोस वाली लड़की
सामने वाली छत पे आ के मुस्कुराती है मुझे देख !!
खलाव को देखता रहता हूँ
मान लेता हूँ के तुम भी यही करती होगी
इस उमीद से के तुम्हारा साथ निभाने का यही तरीका है !
मैं अकेला हो जाता हूँ जब पड़ोस वाली लड़की
सामने वाली छत पे आ के मुस्कुराती है मुझे देख !!
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