संभाले रखा है अभी तलक
ना जाने कब कोई लहर बहा ले जाए
मेरी कश्ती में लंगर नहीं है
एक तेरी बाजुओं से आस थी
और कोई साहिल आसरा नहीं देता
ना जाने कब कोई लहर बहा ले जाए
मेरी कश्ती में लंगर नहीं है
एक तेरी बाजुओं से आस थी
और कोई साहिल आसरा नहीं देता
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 13 October 2012 at 02:37
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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