ज़िंदगी क्या कल दिखाएगी
ज़िंदगी कल क्या दिखाएगी
बातें बेवजह…
ज़िंदगी गुज़र रही है मुझसे
मैं गुज़र रहा हूं ज़िंदगी से
सोच बेवजह…
ज़िंदगी कल क्या दिखाएगी
बातें बेवजह…
ज़िंदगी गुज़र रही है मुझसे
मैं गुज़र रहा हूं ज़िंदगी से
सोच बेवजह…
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Monday, 23 November 2015 at 20:48
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
0 comments:
Post a Comment