कुछ रातें बिन नींद ज़ाया हो जाती हैं,
मगर बहुत कुछ छोड़ जाती हैं !
कोयल ने आवाज़ दी तब तक सोने की सोचता रहा हूं गयी रात !!
मगर बहुत कुछ छोड़ जाती हैं !
कोयल ने आवाज़ दी तब तक सोने की सोचता रहा हूं गयी रात !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Monday, 8 August 2016 at 21:32
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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