चोरी चोरी आँखें लगा लो तो,
आँख नहीं लगती, यारा !
ओ झल्ली, तू भी तो जगी थी कभी किसी के लिए !
तेरी नींद उड़ाने वाले सबब ही तो टोह रहे हैं उसके नैनां !!
टीस थी मोहब्बत को बस इतनी,
के तुम छुपती रही,
और वो छुपाता रहा !
आँख नहीं लगती, यारा !
ओ झल्ली, तू भी तो जगी थी कभी किसी के लिए !
तेरी नींद उड़ाने वाले सबब ही तो टोह रहे हैं उसके नैनां !!
टीस थी मोहब्बत को बस इतनी,
के तुम छुपती रही,
और वो छुपाता रहा !
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