जीनदगी तुझसे कोई शिकवा तो नहीं, मगर तुझे जीने की खवाहिश भी तो नहीं!!
ठीकाना तो रहगुज़र है, मंजिल की तलाश ही नहीं!!
the pursuit of reason... the fight with self...
जीनदगी तुझसे कोई शिकवा तो नहीं, मगर तुझे जीने की खवाहिश भी तो नहीं!!
ठीकाना तो रहगुज़र है, मंजिल की तलाश ही नहीं!!
Posted by Sukesh Kumar Thursday, 11 September 2008 at 15:14
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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