यूँ तो काफ़ी होती है प्यार की एक निगाह !
मगर वो अकसर सोचती है के
क्यों खुद प्यार नाकाफ़ी होता है किसी के लिए कभी कभी !
मगर वो अकसर सोचती है के
क्यों खुद प्यार नाकाफ़ी होता है किसी के लिए कभी कभी !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Tuesday, 25 February 2014 at 00:07 0 comments
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 1 February 2014 at 01:09 0 comments
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