जब मैं नहीं रहूंगा,
मुझे बादलों तले इन झीलों के किनारे फेंक देना !
मैं इनके होने का सबब बना रहूंगा !
मुझे बादलों तले इन झीलों के किनारे फेंक देना !
मैं इनके होने का सबब बना रहूंगा !
जब मैं नहीं रहूंगा !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 1 October 2017 at 17:39 1 comments
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)