सरद शामों की धुप छांव में
मिल जाती है तुम्हारी हंसी !
मिल जाती है तुम्हारी हंसी !
और सरद रातों की धुंध में
तुम्हारे आंसु !
तुम्हारे आंसु !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 1 October 2017 at 17:38
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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