मदहोश रह के ही सही, ज़िंदगी को बहुत करीब से देखा है!
खुदा को तो नहीं देखा पर सिकंदर को मुक्कदर से हारते देखा है!!
के नसीब से लड़ने वालो को ठोकरों से दोस्ती करते देखा है!!!
the pursuit of reason... the fight with self...
मदहोश रह के ही सही, ज़िंदगी को बहुत करीब से देखा है!
खुदा को तो नहीं देखा पर सिकंदर को मुक्कदर से हारते देखा है!!
के नसीब से लड़ने वालो को ठोकरों से दोस्ती करते देखा है!!!
Posted by Sukesh Kumar Wednesday, 28 April 2010 at 15:34
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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