हर शै निस्सार होती है आदमी के कदमो पे,
आदमी बस गुरूर को नहीं जीत पाता!
सावन की बूँदें आंसुओ को छुपा लेती हैं,
वरना वो फखर का मारा रो भी नहीं पाता!!
the pursuit of reason... the fight with self...
हर शै निस्सार होती है आदमी के कदमो पे,
आदमी बस गुरूर को नहीं जीत पाता!
सावन की बूँदें आंसुओ को छुपा लेती हैं,
वरना वो फखर का मारा रो भी नहीं पाता!!
0 comments:
Post a Comment