बारिश में आँसू

हर शै निस्सार होती है आदमी के कदमो पे,
आदमी बस गुरूर को नहीं जीत पाता!
सावन की बूँदें आंसुओ को छुपा लेती हैं,
वरना वो फखर का मारा रो भी नहीं पाता!!

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