कारवाँ

दूर उफ़क से उठी एक हल्की सी लो,
सुरख रेत पर फिर रह-गुज़र ढूँडने निकला एक कारवाँ है!


शायद कोई निशाँ बाकी रह जाएगा इस रेत पे,

बस इसी उमीद से आज हुए हम रवाँ है!!

0 comments: