मेरी मोहब्बत का मासूम सा फ़साना है, कागज़ की कश्ती और सावन का महीना है !
हाथ में ज़हर का पैमाना है, चट्टानों के सैलाब में धड़कता एक नगीना है !!
के अब शराब तो इक बहाना है, हमें नशा उनकी आखों का छुपाना है !!!
the pursuit of reason... the fight with self...
मेरी मोहब्बत का मासूम सा फ़साना है, कागज़ की कश्ती और सावन का महीना है !
हाथ में ज़हर का पैमाना है, चट्टानों के सैलाब में धड़कता एक नगीना है !!
के अब शराब तो इक बहाना है, हमें नशा उनकी आखों का छुपाना है !!!
Posted by Sukesh Kumar Thursday 22 March 2012 at 16:32 0 comments
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)