गीली मिट्टी की खुश्बू

चल निचोड़ लेते हैं गीली मिट्टी की खुश्बू,
सूखेगी तो फिर मिलेगी नहीं पहली बारिश, अगले सावन तलक !
मेरे रुखसारों पे भी होती है हर बार,
बारिश, के जैसे पहली बार हुई हो !!

चल निचोड़ लेते हैं वस्सल का रस
मुरझाए तो फिर मिलेंगे नहीं फूल, अगली बहार तलक !
मैने सींची है मोहब्बत की फसलें इस तरह,
बीजाई, के जैसे आख़िरी बार हुई हो !!

टीस

आले में रखा दिया बुझ जाता है जलने के बाद,
मगर पीछे छोड़ जाता है एक मधम सी लौ !
तुम्हारे आँसुओं ने भी सीख लिया है,
टपकना किसी ओर के काँधे पे !
तुम्हे बस इतना भर साबित करना है के
तुम्हारी टीस में मेरी टीस का कोई अंश बाकी नहीं है !
यूँ ज़िंदगी चलती रहेगी अपनी रफ़्तार,
और तुम दिया जलाती रहोगी पहेले जैसे !!

खैरात

अभी ज़िंदा हूं, थोड़ी वफाएं तो ले जा !
कब्र पे रोने का वादा ठीक है
अरे सितमगर, खैरात दी है, थोड़ी दुआएं तो ले जा !!