इक याद छटपटाती रहती है गले में
जो कर देती है किसी भी मद को dilute !
इक ठंडी सांस घुलती रहती है जुबां पे
जो रखती है ज़हन को chilled !
साथी बना तो देता है एक peg मेरी खातिर
पर पूछता है के क्यों पीते हो तुम neat !!
जो कर देती है किसी भी मद को dilute !
इक ठंडी सांस घुलती रहती है जुबां पे
जो रखती है ज़हन को chilled !
साथी बना तो देता है एक peg मेरी खातिर
पर पूछता है के क्यों पीते हो तुम neat !!
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