सुनहरा लिफ़ाफ़ा

कभी भी मोहब्बत में रंगे दो अल्लहड़ों को देखता है तो झल्ला जाता है !
दिल का बचपना जाता ही नहीं और,
कभी कभी तैश भी नादान हो जाता है !!

मोहब्बत को सुनहरे लिफाफे में डाल के उसने शगुन में दे दिया था !
प्रेम कम या ज़्यादा नहीं होता वक़्त के साथ,
या तो परवान चढ़ जाता है या कुर्बान हो जाता है !!

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