पहले उसे लगता था के किसी के होने से सब कुछ है मगर अब
महसूस करता है के किसी के होने से कुछ होने का कोई सरोकार नहीं होता| कभी
कुछ ना होने से भी किसी का होना पूरा हो जाता है|
बच्चे सही रहते
हैं - एक छोटी सी "क़िस्सी" के सौदे बदले सब कुछ पूरा हो जाता है| प्रेम भी
एक बच्चे की तरह ही है जिसके लिए हम सब पूरा करते रहते हैं; मगर वो हमेशा
नये खिलोनो के पीछे भागता रहता है और बिठा लेता है हाथ पकड़ अपने पास जो भी
अच्छा लगे!
वैसे ही जैसे किसी का हाथ पकड़ लो तो प्रेम नहीं हो जाता,
किसी का हाथ छोड़ देने से प्रेम कम भी नहीं हो जाता| हां, फ़ासले बढ़ जाएं
तो उलझनें बढ़ ही जाती हैं| कशमकश और उलझन में ख़ासी दूरी नहीं होती; एक
ही सिक्के के दो पहलू जैसे – पास पास मगर बिल्कुल अलग| फिलहाल, कशमकश है
प्यार के हो जाने पर!
किसी
से प्यार हो जाना और किसी से प्यार करना दो बहुत अलग बातें हैं मगर इन दोनो
से ही मुख्तलिफ होता है किसी का प्यार पाना| अहम बात यह है के ये सबसे
मुश्किल भी है| दावा तो नहीं पर यकीन है के उसके मन में प्यार था ज़रूर,
बात अलग है के वो प्यार पाना किसी के नसीब में नहीं था| किसी को नहीं मिला
या वो प्यार किसी ओर को मिला या जिसको मिला उसको कुछ ओर प्यार मिला, सब
किसी संजीदा रात का अंधेरे का हिस्सा हैं!
ज़िंदगी एक-तरफ़ा मुक़ाबले का छोटा सा हिस्सा है जिसमे जीत पहेले से तै है और हारने वाला मैं! हमेशा!!