अंजाम

यारा, रूह को भी चाहिए जिस्म का सहारा,
अकेली कब तक जीती रहेगी !
वरना ज़िंदगी की फ़ितरत है गुज़रना, गुज़रती रहेगी !

मेरी दुआ में मगर तुम्हारे खुश रहने वाला हिस्सा,
हमेशा बरकरार रहेगा !
रूह बिना जिस्म का अंजाम है जलना, जलता रहेगा !!

0 comments: