रात पिघली चाँद की कटोरी में !
सितारों ने ली करवटें हवाओं की चादर तले !
घड़ी की सुईओं ने रिड़का लम्हों को !
जुगनूओं ने अंगीठी जलाई पानिओं में !
फिर इक रात रोज़ की तरह पूरी हो गयी !
फिर इक रोज़, मैं पूरा का पूरा, अधूरा रह गया !!
सितारों ने ली करवटें हवाओं की चादर तले !
घड़ी की सुईओं ने रिड़का लम्हों को !
जुगनूओं ने अंगीठी जलाई पानिओं में !
फिर इक रात रोज़ की तरह पूरी हो गयी !
फिर इक रोज़, मैं पूरा का पूरा, अधूरा रह गया !!
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