करवट

सुबह उठा तो काका ने बिस्तर की सिलवटें सीधी कर दी के रात की करवटें दिखे नहीं !
वो रात आज भी याद है जब मैं करवट लेता था और तू छिल जाती थी !!
कौन सीधा करेगा तेरे बदन के शिकनों को, जो आज भी उस रात की कहानी दोहराते हैं

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