कुछ कविताएँ अधूरी पड़ी हैं !
चलो आज स्याही से पानी को रंग देते हैं
क़लम की नोक से आसमान को छेद देते हैं !
मैं सोचूँगा तू अर्थ देना
और जुगनू लिखेंगे !
जो काले अक्षर हैं वो भी जगमगाएँगे !
ना, आज सोएंगे नही
आज एक दूसरे को जगाएँगे !!
चलो आज स्याही से पानी को रंग देते हैं
क़लम की नोक से आसमान को छेद देते हैं !
मैं सोचूँगा तू अर्थ देना
और जुगनू लिखेंगे !
जो काले अक्षर हैं वो भी जगमगाएँगे !
ना, आज सोएंगे नही
आज एक दूसरे को जगाएँगे !!
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