तन्हाईओं में मुकम्मल हो जाएं ऐसी रातों की कमी तो नहीं !
के तू मिले ही तस्सव्वुर में, ये लाज़मी तो नहीं !!
के तू मिले ही तस्सव्वुर में, ये लाज़मी तो नहीं !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 18 May 2013 at 10:52
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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