बर्फ के समंदर में कुछ चट्टानें झाँकतीं हैं !
मुझे लगा कोरे काग़ज़ों पे छीटें पड़े हों,
कुछ धूल मिट्टी के यूं ही !
उसने छुपा लिए आंसू अपनी सर्द सासों में !
मुझे लगा के ग्लास में नशा कुछ कम हो गया हो,
पिघली बर्फ से यूं ही !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 26 October 2014 at 09:30
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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