नींद

मैं रह गया करता लिखा-पड़ी,
वो बेच गया सब कुछ उधारी की मोहर लगा के !
के यादों की लेनदारी बड़ी भारी है,
वो सूद में ख्वाब ले गया, मैं लाया था नींद कमा के !

यारा, इस हाथ-तंगी में लकीरें भी तो सिमट गयी हैं,
के बेचारगी एक बद्दुआ है, किसी अपने की !!

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