इंतज़ार की कोई लंबाई तय नहीं होती !
इक बेल की तरह बढ़ता जाता है,
जब तक के जड़ से काट ना दो !!
कभी कभी इंतज़ार बरगद की तरह,
पूरी ज़िंदगी में फैल जाता है !
और गाड़ देता है अपनी जड़ें हर पहलू में !!
इक बेल की तरह बढ़ता जाता है,
जब तक के जड़ से काट ना दो !!
कभी कभी इंतज़ार बरगद की तरह,
पूरी ज़िंदगी में फैल जाता है !
और गाड़ देता है अपनी जड़ें हर पहलू में !!
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