बहाने

थोड़ी देर की छत के नीचे बारिश की तरफ मेरा पीठ कर तुमको छुपाना,
असल में भीगी लटों से उलझे तुम्हारे भीगे रुख़ को निहारने का बहाना ही तो है !

या फिर चाँद की तरफ उंगली से इशारा करके तुमको कोई कविता सुनाना,
असल में चाँदनी में तुम्हारे चेहरे को तकने का बहाना ही तो है !

किसी दूसरी लड़की को देर तक तकना पर कनखिओं से तुम्हें भाँपना,
असल में तुमसे शरारत का बहाना ही तो है !


सब बहाने हैं, खुद ही को तुमसे मोहब्बत होने का सबूत देने के !!

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