ज़िंदगी से होता चलूं या जी के चलूं या पीछे पीछे चलूं !
पीछे छोड़ जाऊं या पीछे छूट जाऊं या कहीं रह जाऊं !
चलना भी किसी के रह जाने की कहानी होगा !!
पीछे छोड़ जाऊं या पीछे छूट जाऊं या कहीं रह जाऊं !
चलना भी किसी के रह जाने की कहानी होगा !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 16 October 2016 at 16:59
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
0 comments:
Post a Comment