कहीं खो जाना, तो थोड़ा मिल भी जाना !
कहीं चले जाना, तो थोड़ा सा रह भी जाना !
रात अपना बिस्तर समेट रही होगी
जब दिन आंखें मलते उठ बैठेगा
दोनों थोड़ा जगे थोड़ा सोए !
थोड़ा सा तो होते होंगे रु-ब-रु !!
कहीं चले जाना, तो थोड़ा सा रह भी जाना !
रात अपना बिस्तर समेट रही होगी
जब दिन आंखें मलते उठ बैठेगा
दोनों थोड़ा जगे थोड़ा सोए !
थोड़ा सा तो होते होंगे रु-ब-रु !!
0 comments:
Post a Comment