मैट्रिमोनिअल साइट्स

प्यार में सभी बच्चे हो जाते हैं । सही बात यह है के हम हो जाना चाहते हैं क्यों के सिर्फ बच्चे ही हैं जो सच्चा प्यार कर सकते हैं । इसी लिए हम बच्चे बन के कोशिश करते हैं के हमारा गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड वाला बनावटी प्यार बच्चों की ही तरह सच्चा हो जाए । काश ! भले ही बच्चों वाला प्यार पाया न हो, कभी उसने भी बच्चों वाला प्यार किया ज़रूर था । वो कुछ खास ख़ूबसूरत नहीं थी, शायद औसत से भी कम थी । चेहरा-वेहरा नहीं देखा था उसने, बस महसूस किया था उसकी हथेलिओं का होना अपने रुखसारों पे बिना वजह, महसूस किया था एक पगली लड़की का असमय किसी बात पे पगला जाना, महसूस किया था हवा का वो झोंका जो बार बार उसकी ज़ूलफें चेहरे पे उड़ा के परेशान करता था, महसूस किया था के जो झर झर बहे वो आंसू किसी ओर के लिए थे...
बस महसूस किया था ! जिसके लिए सज़ा मिल गयी उम्र क़ैद की उसके सपनों को !!

जो चेहरा कभी ठीक से देखा नहीं आज वो मैट्रिमोनिअल साइट्स के चेहरों में वही चेहरा तलाशता रहता है के शायद बच्चों वाले सच्चे प्यार का सौदा कहीं तए हो जाए !

1 comments:

  Vikram Singh

24 October 2013 at 23:50

Bahut Uttam :)