मुफ़लिसी

तुम्हे फुरस्सत नहीं है नये गुलों से गुलज़ारों में
या अब वो शिद्दत नहीं बची मेरे इंतज़ारों में !
कटोरा मेरे सामने रखा, आज भी खाली है
दौलत है, पर जेबें खाली हैं मोहब्बत से सबकी बाज़ारों में !!

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