दोनो हाथों से भर के
अंजुली में प्यार रखा था !
टपक गया है अब सारा,
मेरी लकीरों में छेद थे बहुत !!
अंजुली में प्यार रखा था !
टपक गया है अब सारा,
मेरी लकीरों में छेद थे बहुत !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Tuesday, 1 July 2014 at 21:13
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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