आज खुद की आखों पे वही हाथ नम से हैं,
जो कभी तेरे रुखसार पे रख के भीग गये थे !!
जो कभी तेरे रुखसार पे रख के भीग गये थे !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Monday, 30 June 2014 at 20:02
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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