साँसें

कभी वो मुकाम भी आएगा,
जहाँ अपने ही दर्द को पराया कर दिया हो !
ऐसा हो जैसे तुम ने ग़ज़ल तो लिखी हो,
पर पन्ना फाड़ दिया हो !!

उस पन्ने पे कुछ साँसें हैं मेरी,
ठीक लगे तो तकिये के नीचे रख लेना !
मेरा आँचल भीगेगा तो यूँ लगेगा,
पल भर ही सही तुमने जैसे याद किया हो !!

0 comments: