खुद पर ही तंज़ बर्बाद करता हूँ जो अब मैं
तुमने भी कौन सा गीला बचा रखा है किसी फिराक़ में !
तुमने भी कौन सा गीला बचा रखा है किसी फिराक़ में !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Friday, 15 March 2013 at 08:18
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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