आज चार ओर रख लीं

तेरे लतीफों में से छिटकी हँसी को
गुल्लक में छुपा लिया था !
और पिछली बारिश की चार बूँदें बचा के
गांठ बाँध ली थी चुन्नी के सिरे में !

कल तुम्हारा एक लतीफ़ा मिला मुझे
अपनी ही हँसी में !
और गांठ खोल के भिगो गया पल्लू !!

आज फिर से बहुत बूँदें बरसीं
तो चार ओर संभाल कर रख लीं !!

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