मौत की गुज़ारिश

मेरी दिली तमन्ना है के मैं मरूं तो ज़िंदगी के जैसे मरूं,
मौत को भी एक ज़िंदा-दिल मेला बना देना चाहता हूं !
मैं अपनी बाइक को दूर से भगा के,
किसी पर्वत् की चोटी से उछाल देना चाहता हूं !
मौत से पहेले के पल में पूरी ज़िंदगी जी लूं,
अपने पैरों पे नहीं, अपने वजूद पे खड़ा होना चाहता हूं !

यूं तमाशबीन कहते हैं के मोहब्बत के बिना
ज़िंदगी कोई ज़िंदगी नहीं !
मगर आज तो मैं ज़िंदा हूँ,
ये जो फर्याद है मौत की, वही ज़िंदगी का सबूत है !
वही मेरे ज़िंदा होने का सबूत है !!

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