"रुक जा, यार" बस इतनी सी दरखास्त कर पाया था तब !
अब भटकता रहता है दिल,
मंज़िलों और राहों में फरक जाने बिना !
आवारगी बड़ी शानदार चीज़ है !!
अब भटकता रहता है दिल,
मंज़िलों और राहों में फरक जाने बिना !
आवारगी बड़ी शानदार चीज़ है !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 13 September 2014 at 13:44
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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