सुना है राहें मुश्किल होती हैं मोहब्बत की,
मोहब्बतों ने वैसे भी कौन सा ठिकानों की चाह रखी है !
मोहब्बतों ने वैसे भी कौन सा ठिकानों की चाह रखी है !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 25 December 2016 at 19:42
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
0 comments:
Post a Comment