कोयल की आवाज़ सुन मगर ऐसे लगा जैसे तुमने आवाज़ दे के उठाया हो !
रात भर जलता रहा, दिया बुझ गया,
मगर दिए के नीचे जैसे अंधेरा रह गया हो !
फाऊंटेन की निब काग़ज़ से लड़ती रही रात भर,
रात का कतरा कतरा मगर जैसे सुबह ओस में रिस गया हो !
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Thursday, 31 August 2017 at 21:18 0 comments
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Posted by Sukesh Kumar Tuesday, 15 August 2017 at 23:02 0 comments
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Posted by Sukesh Kumar Sunday, 6 August 2017 at 23:40 0 comments
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