तुमने आँखों ही में कह दिया था,
यूँ एक टक मत देखा करो अच्छा नहीं लगता !
जो छाप पड़ी थी उसे मिटाने की कोशिश भर तो थी,
पर जो भी मिटाया वो ओर गहरा होता गया !!
निगाहों की पहली मुलाकात थी, वास्ता खुद-ब-खुद होता गया !!
आज तुमने भी निगाहें नहीं चुराईं,
के कोई तस्सवुर हमारे बीच हो जैसे !
चलो, अब की कुछ यूं करते हैं,
इक धागे में दो मोती बन के बँध जाते हैं !
कही दूर जाएंगे भी तो घूम के फिर मिल जाएंगे !!
या फिर सजा लेते हैं मोती पलकों तले,
तस्सवुर तो भीग जाएगा पर शायद घाव सिल जाएंगे !!
यूँ एक टक मत देखा करो अच्छा नहीं लगता !
जो छाप पड़ी थी उसे मिटाने की कोशिश भर तो थी,
पर जो भी मिटाया वो ओर गहरा होता गया !!
निगाहों की पहली मुलाकात थी, वास्ता खुद-ब-खुद होता गया !!
आज तुमने भी निगाहें नहीं चुराईं,
के कोई तस्सवुर हमारे बीच हो जैसे !
चलो, अब की कुछ यूं करते हैं,
इक धागे में दो मोती बन के बँध जाते हैं !
कही दूर जाएंगे भी तो घूम के फिर मिल जाएंगे !!
या फिर सजा लेते हैं मोती पलकों तले,
तस्सवुर तो भीग जाएगा पर शायद घाव सिल जाएंगे !!
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