पता नहीं हंसना क्यों इतना आसान होता है दुनिया के सामने, मगर रोने के लिए बंद कमरे ढूँढने पड़ते हैं !
और पता नहीं नफ़रतों के सिलसिले खुले आसमान तले दम भरते हैं, मगर प्रेम बंद कमरों में जताया जाता है !!
शायद बंद कमरों में आँसुओं और प्रेम में भी अंतर नहीं रहता...
और पता नहीं नफ़रतों के सिलसिले खुले आसमान तले दम भरते हैं, मगर प्रेम बंद कमरों में जताया जाता है !!
शायद बंद कमरों में आँसुओं और प्रेम में भी अंतर नहीं रहता...
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