फासला "ना" का बनाया नहीं था,
बस इक "हां" भर का फासला रह गया दरमियाँ !
सोचना, कभी वक़्त मिले, ज़िंदगियाँ क्यूं बदल जाती हैं मगर इंसान वही के वही !!
बस इक "हां" भर का फासला रह गया दरमियाँ !
सोचना, कभी वक़्त मिले, ज़िंदगियाँ क्यूं बदल जाती हैं मगर इंसान वही के वही !!
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